दक्षिणी भारतीय राज्‍य, गोवा में कुछ विश्‍व प्रसिद्ध गिरजाघर और कॉन्‍वेंट हैं विशेष रूप से चर्च ऑफ बॉम्‍ब जीसस, जिसमें सेंट फ्रेंसिस ज़ेवियर और सेंट कैथेड्रल के मकबरे हैं। ये स्‍मारक एशिया के देशों में मेन्‍यूएलाइन, मेनरिस्‍ट और बारोक कला के रूप विस्‍तारित करने में प्रभावशाली थे, जहां इनके मिशन स्‍थापित किए गए थे।

बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस पूर्वी पणजी (गोवा की राजधानी) से 10 कि.मी. की दूरी पर है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्‍दी में कराया गया था। ''बॉम जीसस'' का अर्थ है शिशु जीसस या अच्‍छे जीसस। केथोलिक विश्‍व में प्रख्‍यात यह कैथेड्रल भारत का पहला अल्‍प वयस्‍क बेसिलिका है और इसे भारत में बारोक वास्‍तुकला का एक सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है। इसकी रूपरेखा में सरल पुनर्जीवन मानक दर्शाए गए हैं जबकि इसका विस्‍तार और सजावट अतुलनीय बारोक है। यह सुंदर संरचना, जिसमें सफेद संगमरमर लगाया गया है और जिसे भित्ति चित्रों और अंदरुनी शिल्‍प कला से सजाया गया है।

बेसिलिका में सेंट फ्रेंसिस जेवियर के पवित्र अवशेष रखे हैं जो गोवा के संरक्षक संत थे और उनकी मृत्‍यु 1552 में हुई थी। संत के नश्‍वर अवशेष कोसिमो डी मेडिसी III द्वारा चर्च को उपहार दिए गए, जो ट्यूस केनी के ग्रेंड ड्यू थे। अब यह शरीर कांच के बने हुए वायुरोधी कपन में रखा गया है जिसे सत्रहवीं शताब्‍दी के फ्लोरेंटाइम शिल्‍पकार, जीयोवानी बतिस्‍ता फोगिनी द्वारा चांदी के कास्‍केट में शिल्‍पकारी द्वारा रखा गया है। उनकी इच्‍छा के अनुसार उनके अंतिम अवशेष उनकी मृत्‍यु के वर्ष में गोवा लाए गए। यह कहा जाता है कि यहां लाते समय संत का शरीर उतना ही ताजा तरीन था जितना कि इसे कफन में रखते समय पाया गया था।

संत जेवियर का मकबरा इटालियन कला (संगमरमर का आधार) और हिन्‍दू शिल्‍पकारी (चांदी का कास्‍केट) का अद्भुत मिश्रण है। विस्‍तारपूर्वक बनाए गए अल्‍तार लकड़ी, पत्‍थर, स्‍वर्ण और ग्रेनाइट में शिल्‍पकला और पच्‍चीकारी का सुंदर उदाहरण है। इसके खम्‍भों पर संगमरमर लगाया हुआ है और इनके अंदर कीमती पत्‍थर लगाए गए हैं। इस चर्च में संत फ्रेंसिस जेवियर के जीवन को दर्शाने वाले चित्र भी लगाए गए हैं।

सैंट कैथेड्रल एक अन्‍य धार्मिक भवन है, जिसे गोवा में 16वीं शताब्‍दी में पुर्तगाल शासन के अधीन रोमन केथेलिको द्वारा निर्मित किया गया था। कैथेड्रल एशिया का सबसे बड़ा गिरजाघर, जिसे अलेक्‍सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित किया गया है, जिनका आर्हद दिवस 1510 में है। अल्‍फोंसो अल्‍बूकर्क ने मुस्लिम सेना को पराजित किया और गोवा शहर पर कब्‍ज़ा कर लिया। इस प्रकार इसे सेंट केथेरिन का कैथेड्रल भी कहा जाता है।

इस प्रभावशाली भवन का निर्माण राजा डोम सेबास्टियो (1557-78) के कार्यकाल के दौरान 1562 में आरंभ हुआ और अंतत: 1619 में पूरा हुआ। इसे 1640 में पुन: प्रतिष्ठित किया गया।

इस गिरजाघर की लंबाई 250 फीट और चौड़ाई 181 फीट है। इसके सामने का हिस्‍सा 115 फीट ऊंचा है। यह भवन पुर्तगाली - गोथिक शैली का है जिसमें टस्‍कन बाह्य सज्‍जा और कोरिनथियन अंदरुनी सज्‍जा। कैथेड्र की बाह्य सज्‍जा अपनी शैली के सादे पन के लिए उल्‍लेखनीय जबकि इसकी अंदरुनी सज्‍जा अपनी भव्‍यता से दर्शकों का मनमोह लेती है।

कैथेड्रल का मुख्‍य भाग अलेक्‍सेंड्रिया के संत केथेरिन को समर्पित हैं और इसके दूसरी ओर लगी पुरानी तस्‍वीरें उनके जीवन और शहीद हो जाने दृश्‍य दर्शाते हैं। इसके दांईं ओर क्रॉस ऑफ मिरेकल के चेपल को दर्शाया गया है।

असिसी के सेंट फ्रांसीस के गिरजाघर और कॉन्‍वेंट, लेडी ऑफ रोज़री के गिरजाघर; संत अगस्‍टाइन के गिरजाघर गोवा के अन्‍य प्रमुख गिरजाघरों और कॉन्‍वेंट में से एक हैं।

 

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