Culture & Heritage
भारत के स्मारक : गेटवे ऑफ इंडिया
गेटवे ऑफ इंडिया अब मुम्बई शहर का पर्यायवाची बन गया है। यह मुम्बई का सबसे अधिक प्रसिद्ध स्मारक है और यह शहर में पर्यटन की दृष्टि से आने वाले अधिकांश लोगों का आरंभिक बिन्दु है। गेटवे ऑफ इंडिया एक महान ऐतिहासिक स्मारक है, जिसे देश में ब्रिटिश राज के दौरान निर्मित कराया गया था। यह पंचम किंग जॉर्ज और महारानी मेरी के मुम्बई (तत्कालीन बंबई) आगमन के अवसर पर उन्हें सम्मानित करने के लिए बनाया गया विशाल स्मारक था। गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण अपोलो बंदर पर कराया गया था जो मेल जोल का एक लोकप्रिय स्थान है। इसे ब्रिटिश वास्तुकार जॉर्ज विटेट ने डिजाइन किया था।
गेटवे ऑफ इंडिया की आशाशिला बम्बई (मुम्बई) के राज्य पाल द्वारा 31 मार्च 1913 को रखी गई थी। यह स्मारक 26 मीटर ऊंचा है और इसने 4 मीनारें हैं और पत्थरों पर खोदी गई बारीक पच्चीकारी है। इसका केवल गुम्बद निर्मित करने में 21 लाख रु. का खर्च आया था। यह भारतीय - सार्सैनिक शैली में निर्मित भवन है, जबकि इसकी वास्तुकला में गुजराती शैली का भी कुछ प्रभाव दिखाई देता है। यह संरचना अपने आप में ही अत्यंत मनमोहक और पेरिस में स्थित आर्क डी ट्रायम्फ की प्रतिकृति है।
पिछले समय में गेटवे ऑफ इंडिया का उपयोग पश्चिम से आने वाले अतिथियों के लिए आगमन बिन्दु के रूप में होता था। विडम्बना यह है कि जब 1947 में ब्रिटिश राज समाप्त हुआ तो यह उप निवेश का प्रतीक भी एक प्रकार का स्मृति लेख बन गया, जब ब्रिटिश राज का अंतिम जहाज यहां से इंग्लैंड की ओर रवाना हुआ। आज यह उपनिवेश काल का संकेत पूरी तरह से भारतीय कृत हो गया है, जिसमें ढेरों स्थानीय पर्यटक और नागरिक आते हैं। मुम्बई का यह स्थान शहर के दर्शनीय स्थलों में से एक है।
गेटवे विशाल अरब सागर की ओर बनाया गया है, जो मुम्बई शहर के एक अन्य आकर्षण मेरिन ड्राइव से जुड़ा है, यह एक सड़क है जो समुद्र के समानांतर चलती है। यह भव्य स्मारक रात के समय देखने योग्य होता है जब इसकी विशाल भव्यता समुद्र की पृष्ठभूमि में दिखाई देती है। इसमें प्रतिवर्ष दुनिया भर के लाखों लोग आते हैं और यह मुम्बई के लोगों की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह शहर की संस्कृति को परिभाषित करता है, जो ऐतिहासिक और आधुनिक सांस्कृतिक परिवेश का अनोखा संगम है।