रिपोर्ट : रविंद्र आर्य

इंदौर. यह लेख सनातन धर्म के महत्व, इसकी आध्यात्मिक शक्ति और समाज में इसकी भूमिका पर गहन प्रकाश डालता है। साध्वी सरस्वती दीदी ने श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से सनातन सन्देश बतलाकर धर्म के उच्च आदर्शों और इसकी अमरता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।

सनातन धर्म की विशेषताएँ-आदि से अंत तक स्थायी धर्म : सनातन धर्म को पूरे विश्व में सबसे प्राचीन और स्थायी धर्म माना गया है, जो "वसुधैव कुटुंबकम्" के आदर्श पर आधारित है। यह मानव मात्र के कल्याण और सत्य मार्ग की स्थापना का संदेश देता है।

श्री हरि का धर्म स्थापना में योगदान : साध्वी सरस्वती जी ने भगवान राम और कृष्ण के जीवन के उदाहरण देकर समझाया कि कैसे भगवान ने सत्य और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया।

भागवत कथा का महत्व : साध्वी जी ने श्रोताओं को भागवत कथा की शरण में आने का आह्वान करते हुए कहा कि यह जीवन के तमाम कष्टों से मुक्ति पाने का माध्यम है।

धर्म की रक्षा का संकल्प : साध्वी जी ने अपने जीवन में धर्म और गौ संरक्षण के लिए संकल्प लिया है। उनका कहना है कि यदि धर्म की रक्षा की जाएगी, तो वह हमारी भी रक्षा करेगा।

राष्ट्रभक्ति का संदेश : साध्वी सरस्वती ने राष्ट्रभक्ति के महत्व पर जोर दिया और "सोने की चिड़िया" जैसे गीतों के माध्यम से श्रोताओं को प्रेरित किया।

सामाजिक योगदान

111 कन्याओं का विवाह : इस भागवत कथा आयोजन में दिलीप अग्रवाल जी के परिवार द्वारा 111 कन्याओं के सामूहिक विवाह की योजना को साध्वी जी ने ठाकुर जी की कृपा बताया। यह सामाजिक सेवा का एक अनुकरणीय उदाहरण है।

गौ संरक्षण का आग्रह : साध्वी जी ने प्रधानमंत्री से यह आह्वान किया कि पूरे विश्व में गौ हत्या पर रोक लगाने का कानून लागू किया जाए।

श्रोताओं पर प्रभाव : इस कथा के माध्यम से श्रोताओं को न केवल आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त हुई, बल्कि राष्ट्रभक्ति, समाज सेवा, और धर्म रक्षा का भाव भी जागृत हुआ। राजा परीक्षित, सुखदेव जी, और ध्रुव जैसे पवित्र प्रसंगों ने कथा में आध्यात्मिकता का रंग भर दिया।

समापन : साध्वी सरस्वती जी और भागवत कथा वाचक अर्चना शर्मा जी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से धर्म, सेवा, और त्याग की भावना को प्रबल किया। यह कथा आयोजन, न केवल आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि सामाजिक उत्थान और धर्म की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी प्रदान करता है।

"धर्म रक्षा ही समाज और राष्ट्र की रक्षा है।"

लेखक: रविंद्र आर्य 9953510133