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"कनाडा में जीवन की मुश्किलें बढ़ी: भारतीय प्रवासियों की बढ़ती चिंता, सपने अब तनाव में तब्दील"
कनाडा कभी भारतीयों और अन्य प्रवासियों के लिए सपनों का देश हुआ करता था, जहां बेहतर जीवन और उज्जवल भविष्य की उम्मीदें हर किसी के दिल में बसी रहती थीं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं और वहां रह रहे भारतीय प्रवासियों के लिए जीवन पहले जैसा आसान नहीं रहा। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, घरों की कमी और बढ़ते खर्चों ने उनकी जिंदगी को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
बीबीसी की खबर के मुताबिकके फरीदकोट से आए रमनदीप सिंह ने दस साल पहले कनाडा में अपना नया जीवन शुरू किया था। शुरुआत में उन्होंने कड़ी मेहनत की और अच्छा घर खरीदा। लेकिन कोविड के बाद परिस्थितियां बदल गईं और अब रमनदीप की जिंदगी में नए तनाव आ गए हैं। वह कहते हैं, “अब तो सपने भी तनाव से भरे हैं। बिजली का बिल, लोन की किस्त, नौकरी की चिंता – यही सब अब जिंदगी का हिस्सा बन गया है।” वह बढ़ती महंगाई और गिरती प्रॉपर्टी मार्केट से परेशान हैं।
तनाव और अवसाद से भी जूझ रहे हैं कई परिवार
रमनदीप और उनकी पत्नी ने पहले एक छोटा घर खरीदा था, लेकिन अब प्रॉपर्टी की गिरती कीमतों और बढ़ती किस्तों के कारण वे मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। रमनदीप कहते हैं, “कई बार लगता है कि शायद कनाडा आने का फैसला सही नहीं था।” कनाडा में इन बदलते हालात का सबसे बड़ा असर प्रवासियों केपर पड़ रहा है। आर्थिक दबाव, नौकरी की चिंता और बढ़ते खर्चों ने कई परिवारों को मानसिक तनाव और अवसाद से जूझने पर मजबूर किया है।
नए प्रवासियों के लिए स्थितियां और भी चुनौतीपूर्ण हैं। गुजरात से आए मितुल देसाई कहते हैं कि अब किराए बहुत बढ़ गए हैं। “पहले जो बेसमेंट 300 डॉलर में मिल जाता था, अब उसका किराया 1500 से 2000 डॉलर तक पहुंच गया है।” उनका कहना है कि इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या घटने से रेंटल मार्केट गर्म हुआ था, लेकिन अब मकान मालिकों को किराया मिलने में दिक्कत हो रही है।
कनाडा में काम करने आए कई प्रवासी अब नौकरी के स्थायित्व को लेकर चिंतित हैं। गुरदासपुर के नवजोत सलारिया कहते हैं कि उनका वर्क परमिट इस साल अगस्त में खत्म हो जाएगा और अब उन्हें पीआर मिलने की चिंता सता रही है। वह कहते हैं, “नौकरी तो है, लेकिन स्थायी भविष्य नहीं दिख रहा।”
कनाडा में आम चुनावों के बाद, प्रवासी उम्मीद कर रहे हैं कि नई सरकार उनकी समस्याओं को समझेगी और उनके लिए कुछ ठोस कदम उठाएगी। सोनल गुप्ता, जो एकछात्रा थीं, कहती हैं कि सरकार को छात्रों पर दोष डालने के बजाय उन्हें सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।
कनाडा में इस समय करीब चार लाख घरों की कमी है। रियल एस्टेट एजेंट मिंकल बत्रा कहते हैं, “अब घर खरीदना एक सपना बन गया है। पिछले कुछ महीनों में घरों की कीमतों में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।” कनाडा सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, आवास और नौकरियों की कमी बढ़ रही है और ऐसे में नई सरकार को इन समस्याओं का समाधान खोजना होगा। कनाडा में बढ़ते आवास संकट, बढ़ते किराए, और नौकरी की अनिश्चितता ने प्रवासियों की स्थिति को कठिन बना दिया है। आने वाले चुनावों में नई सरकार को इस मुद्दे का समाधान ढूंढ़ना होगा। कनाडा आने के बाद कई प्रवासियों ने जो सपने देखे थे, वे अब टूटते हुए नजर आ रहे हैं।