एक थ्योरी के मुताबिक जिन लोगों में विटामिन डी का लेवल अच्छा पाया गया है, उनमें कोरोना का असर कम पाया जा रहा है। इस थ्योरी को दिल्ली में कोरोना के हालात भी सपोर्ट कर रहे हैं। अब तक कहा जा रहा है कि दिल्ली में लगभग 80 से 90 पर्सेंट लोग कोविड से संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, दिल्ली की आबादी के बारे में यह पहले भी बहुत बार कहा गया है कि यहां 80 से 90 पर्सेंट लोगों में विटामिन डी की कमी है, केवल 10 पर्सेंट में ही विटामिन डी सही लेवल पर है।

विटामिन डी के इस्तेमाल से कोरोना के असर को कम किया जा सकता है। विटामिन डी की खासियत है कि इसमें एंटी इन्फ्लामेंट्री क्षमता होती है। यह वायरल से होने वाली बीमारी को कम करता है और साथ में यह इम्यून रेस्पांस को एक्टिव करता है। एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ और देश के जाने माने ऑर्थोपेडिक डॉ. राजेश मल्होत्रा का कहना है कि इस पर बहुत ज्यादा स्टडी नहीं है, लेकिन विश्वसनीय थ्योरी के आधार पर यह आकलन सही है कि इससे कोविड के असर को कम किया जा सकता है, इसलिए कोविड के इलाज में विटामिन डी को भी शामिल किया गया है।

डॉक्टर मल्होत्रा ने कहा कि वायरल इलनेस में विटामिन डी पहले से कारगर है। यह साबित हो चुका है। यह खांसी जुकाम व सांस संबंधी परेशानी को कम करता है। दुनिया में कुछ स्टडी इस पर हुई हैं। हालांकि वो पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन इसमें पाया गया है कि जिन देशों में विटामिन डी की कमी थी, वहां पर कोविड के ज्यादा मामले आए। मरीज ज्यादा सीरियस हुए और ज्यादा मरीजों की मौत भी हुई।

इस बारे में सफदरजंग के कम्युनिटी मेडिसिन के एचओडी डॉक्टर जुगल किशोर ने कहा कि बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिन्हें दोनों वेव के बाद भी कोरोना नहीं हुआ। जबकि उन्होंने वैक्सीनेशन भी नहीं कराया है। उन्होंने कहा कि इसमें एक थ्योरी विटामिन डी की आ रही है। जिन लोगों में विटामिन डी का लेवल अच्छा पाया गया है, उनमें कोरोना का असर कम पाया जा रहा है। दिल्ली के हालात भी ऐसे ही लग रहे हैं। दिल्ली की आबादी का 80 से 90 पर्सेंट लोगों में विटामिन डी की कमी है, केवल 10 पर्सेंट में ही विटामिन डी सही लेवल पर है। दिल्ली में इन्फेक्शन का डाटा भी यही कहता है कि लगभग 80 से 90 पर्सेंट लोग संक्रमित हो चुके हैं।

विदेशों में ऐसे कई उदाहरण

डॉक्टर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि ईरान और इजरायल में तुलना की गई है। कहा जा रहा है कि ईरान में विटामिन डी की ज्यादा कमी है, इसलिए यहां ज्यादा कोविड फैला। इजरायल में यह कम हुआ, क्योंकि यहां पर विटामिन डी की डिफिसिएंसी कम है। इसी प्रकार यूके और यूएस में डार्क स्किन वाले लोगों में विटामिन डी की कमी ज्यादा होती है, यहां पर ऐसे लोगों में दोगुना रिस्क देखा गया।

बुजुर्ग में ज्यादा खतरे की वजह

डाक्टर मल्होत्रा ने कहा कि देश में बुजुर्ग, डायबिटीज और मोटे लोगों में कोरोना का अधिक खतरा देखा गया। इस स्थिति से गुजरने वाले सभी लोगों में विटामिन डी की कमी कॉमन समस्या है। विटामिन डी ऐसे काम करता है

है। यह फैक्ट है। वायरल रेसपिरेट्री संबंधित बीमारी, निमोनिया में असरदार है। इसमें एंटी इन्फ्लामेट्री क्षमता होती है। कोविड के इलाज में यह साफ हो गया है कि मौत की वजह साइटोकाइन स्ट्रॉम है। इसमें इन्फ्लामेशन हो जाता है, लेकिन विटामिन डी की क्षमता होती है इसे कम करने की। इसलिए जिनमें विटामिन डी ज्यादा होता है, वह इसे बढ़ने नहीं देता है। या यूं कहें कि यह एंटी इन्फ्लामेंट्री की तरह काम करता है, जिससे साइटोकइन स्ट्रॉम कम होता है। इसी प्रकार यह इम्यून रेस्पांस को भी एक्टिव करता है। शरीर में दो प्रकार के इंजाइम होता है, एक ACE और ACE-2। एसीई एंजाइम वायरस को चिपकने में मदद करता है, वहीं दूसरा इंजाइम इसे कम करता है। डॉक्टर ने कहा कि ऑब्जर्वेशन में पाया गया है कि विटामिन डी की वजह से होता है।