बचपन में अमूमन हम सभी को अपने पैरेंट्स से कोई न कोई पनिशमेंट मिलती है। जब भी हम पीछे मुड़कर अपने बचपन काे याद करते हैं तो पैरेंट्स से मिली कोई न कोई सजा तो याद आ ही जाती है। हमारे देश में बच्‍चों के गलती करने पर पनिशमेंट देने का रिवाज कुछ ज्‍यादा ही है जबकि विदेशों में बच्‍चों को सजा देना गलत माना जाता है।

कभी बच्‍चों को डिसिप्लिन सिखाने तो कभी पढ़ाई में ध्‍यान लगाने की वजह से पैरेंट्स बच्‍चों को सजा देते हैं लेकिन कई पैरेंट्स के सजा देने का तरीका कॉन्‍ट्रोवर्शियल बन जाता है। UNICEF द्वारा करवाई गई एक रिसर्च में बच्‍चों को अनुशासन सिखाने के लिए भारतीय अभिभावकों के तरीकों पर प्रकाश डाला गया।इस स्‍टडी का कहना है कि पैरेंट्स बच्‍चों पर चिल्‍लाते, मारते, खाना न देने जैसी हरकतें करते हैं और आज आधुनिक भारत में भी ये सब चलता आ रहा है। यहां तक कि नवजात शिशु भी पनिशमेंट की लिस्‍ट से बाहर नहीं हैं। देखा गया है कि 6 साल की उम्र तक के बच्‍चों को पैरेंट्स ज्‍यादा पनिशमेंट देते हैं।

स्‍टडी पर दें ध्‍यान

  UNICEF ने भारत के कई राज्‍यों उड़ीसा, महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान और छत्तीसगढ़ में अपने वर्कर्स को भेजा। इन वर्कर्स ने देखा कि भारतीय पैरेंट्स अपने बच्‍चों को अनुशासन सिखाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं या अपनी फ्रस्‍ट्रेशन तक बच्‍चों पर निकाल देते हैं।

कुछ मामलों में देखा गया कि बच्‍चों पर हिंसा की गई और उन्‍हें बेल्‍ट या रॉड से पीटा गया।

​फिजिकल पनिशमेंट का बच्‍चों पर असर

दुख की बात तो ये है कि पैरेंट्स ये तक नहीं सोचते हैं कि उनके ऐसा करने का बच्‍चों पर क्‍या भावनात्‍मक असर पड़ेगा और इससे उनका बौद्धिक विकास कितना प्रभावित होगा। बच्‍चे के खाना खाने से मना करने पर उसे बुरे शब्‍द कहते हैं या उन्‍हें पाठ सिखाने के लिए नजरअंदाज करने लगते हैं।

निष्कर्षों में यह भी पाया गया कि बच्चों को भावनात्मक शोषण और आघात के शिकार होने का अधिक खतरा तब होता है, जब वे अपने माता-पिता, भाई-बहनों या अपने आस-पास किसी प्रकार की हिंसा या तकरार होते हुए देखते हैं।

​बेटा-बेटी के लिए अलग है पनिशमेंट

UNICEF की इस स्‍टडी में यह भी पता चला कि पैरेंट्स बेटे और बेटी के लिए अलग पनिशमेंट रखते हैं। देश के कई हिस्‍सों में आज भी बेटे और बेटी में फर्क किया जाता है। लड़कियों को घर का काम करने से मना करने या बाल खुले छोड़ने पर सजा मिलती है। वहीं दूसरी ओर, लड़कों को परिवार के किसी सदस्‍य का अनादर करने पर सजा मिलती है।

भारत के कई हिस्‍सों में आज भी 3 साल की उम्र से ही लड़कियों को उठने-बैठने और बर्ताव करने का तरीका सिखाया जाता है।

बच्‍चे को होता है नुकसान

शोधकर्ताओं का कहना है कि पैरेंट्स के शारीरिक रूप से प्रताडित करने पर बच्‍चे के मानसिक विकास पर असर पड़ता है और वो आगे चलकर सही और गलत में भेद नहीं कर पाते हैं। इससे बच्‍चे खुद पर कंट्रोल रखने की समझ नहीं रख पाते हैं और अनुशासन में रखने के लिए पैरेंट्स की तरह ही खुद पर ज्‍यादिती करने लगते हैं। इसके अलावा फिजिकली पनिशमेंट मिलने से पैरेंट और बच्‍चे का रिश्‍ता भी खराब हो जाता है।