विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता के प्रसिद्ध और सुंदर स्मारकों में से एक है। इसका निर्माण 1906 और 1921 के बीच भारत में रानी विक्टोरिया के 25 वर्ष के शासन काल के पूरा होने के अवसर पर किया गया था। वर्ष 1857 में सिपाहियों की बगावत के बाद ब्रिटिश सरकार ने देश के नियंत्रण का कार्य प्रत्यक्ष रूप से ले लिया और 1876 में ब्रिटिश संसद ने विक्टोरिया को भारत की शासक घोषित किया। उनका कार्यकाल 1901 में उनकी मृत्यु के साथ समाप्त हुआ।
विक्टोरिया मेमोरियल भारत में ब्रिटिश राज की याद दिलाने वाला संभवतया सबसे भव्य भवन है। यह विशाल सफेद संगमरमर से बना संग्रहालय राजस्थान के मकराना से लाए गए संगमरमर से निर्मित है और इसमें भारत पर शासन करने वाली ब्रिटिश राजशाही की अवधि के अवशेषों का एक बड़ा संग्रह रखा गया है। संग्रहालय का विशाल गुम्बद, चार सहायक, अष्टभुजी गुम्बदनुमा छतरियों से घिरा हुआ है, इसके ऊंचे खम्भे, छतें और गुम्बददार कोने वास्तुकला की भव्यता की कहानी कहते हैं। यह मेमोरियल 338 फीट लंबे और 22 फीट चौड़े स्थान में निर्मित भवन के साथ 64 एकड़ भूमि पर बनाया गया है।
लॉर्ड कर्जन, जो तत्कालीन भारतीय वायसराय थे, ने जनवरी 1901 में महारानी विक्टोरिया की मृत्यु होने पर इसे जनता के लिए ''राजशाही'' स्मारक के रूप में रखने पर प्रश्न उठाया। युवराज और भारत की जनता ने धन उगाही की उनकी इस अपील पर उदारता दिखाई तथा लॉर्ड कर्जन ने लोगों के स्वैच्छिक अंशदान से एक करोड़, पांच लाख रुपए (1,05,00,000 रु.) की राशि से इस स्मारक की निर्माण की पूरी लागत जमा की। प्रिंस ऑफ वेल्स, किंग जॉर्ज पंचम, ने 4 जनवरी 1906 को इसकी आधारशिला रखी तथा 1921 में इसे औपचारिक रूप से जनता के लिए खोल दिया गया।
विक्टोरिया मेमोरियल भारतीय वास्तुकला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है और इसका पूरा श्रेय लॉर्ड कर्जन को जाता है, जिन्होंने सर विलयम एमर्सन जैसे व्यक्तियों को चुना जो ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्किटेक्ट्स के अध्यक्ष थे और जिन्होंने अत्यंत प्रसिद्ध मेसर मार्टिन एण्ड कंपनी, कोलकाता के लिए भवन की संकल्पना और योजना बनाई तथा निर्माण का कार्य कराया।
यह विशाल संरचना इस समय ब्रिटिश भारत के समय के स्मारक चिन्हों का एक संग्रहालय है, जैसे कि प्रसिद्ध यूरोपीय कलाकारों जैसे चार्ल्स डोली, जोहान जोफानी, विलियम हेजिज़, विलियम सिम्पसन, टिली केटल, थोमस हिके, बुलज़ार सोलविन्स, थोमस हिके, इमली एडन और अन्य द्वारा बनाई गई तैलचित्र कला और जल रंगों से बनाए गए चित्र उपलब्ध हैं। इनके अलावा यहां डेनियल्स द्वारा बनाई गई तस्वीरों का विश्व का सबसे बड़ा संग्रह रखा हुआ है।
यहां की रॉयल गेलरी महारानी विक्टोरिया के तैलचित्रों का भण्डार है जो जून 1838 में वेस्टमिनिस्टर एबी में उनके सिंहासन पर आरोहण; प्रिंस अल्बर्ट के साथ उनके विवाह (1840), प्रिंस ऑफ वेल्स के बपतिस्मा और प्रिंस ऑफ वेल्स (एडवर्ड सप्तम) के युवरानी अलेक्सेंड्रा के साथ विवाह के चित्र तथा अन्य अनेक।
इस स्मारक की ऊंचाई 200 फीट (विजय के अंक के आधार पर 184 फीट ऊंचा, जो पुन: 16 फीट ऊंचा है) है और यहां की शांति आपको इसके गलियारों में खो जाने के लिए मजबूर कर देती है। उत्तरी पोर्च के ऊपर आकृतियों का एक समूह मातृ भूमि, विवेक और अधिगम्यता का निरुपण करता है। मुख्य गुम्बद के आस पास कला, वास्तुकला, न्याय, धर्मार्थ सहायता आदि की आकृतियां हैं।
विक्टोरिया मेमोरियल की व्यापकता और भव्यता को इस बात से समझा जा सकता है कि इसे उद्यान, पुस्तकालय जैसे विभिन्न प्रभागों में बांटा गया है और साथ ही यहां रखरखाव के कुछ हिस्से हैं और टीपू सुल्तान की तलवार, प्लासी के युद्ध में उपयोग किए गए बेंत, 1870 से भी पहले की दुर्लभ वस्तुएं, अबुल फज़ल द्वारा लिखी गई आइने - अकबरी जैसी मूल्यवान पांडुलिपियां, दुर्लभ डाक टिकट एवं पश्चिमी तस्वीरों जैसी कीमती वस्तुएं भी यहां रखी गई हैं, जो दर्शकों के लिए इसे एक अविस्मरणीय स्मारक बनाती हैं।