झीलों के शहर, उदयपुर को पूर्व का वेनिस शहर कहा जाता है। महाराणा उदय सिंह - II ने 1568 में मुगल बादशाह अकबर द्वारा उनके चित्तौड़गढ़ पर कब्ज़ा कर लेने के बाद उदयपुर की नींव रखी। दंत कथाएं कहती हैं कि उदय सिंह को एक पवित्र पुरुष ने पिछोला झील के पास पहाड़ी पर ध्यान करते हुए अपनी राजधानी इसी स्थान पर स्थापित करने का मार्गदर्शन दिया। अरावली श्रृंखला से घिरे, वनों और झीलों से युक्त इस स्थान को चित्तौड़गढ़ की तुलना में कम संवेदनशील पाया गया। महाराणा उदय सिंह की मृत्यु 1572 में हुई और उनके स्थान पर महाराणा प्रताप आए जिन्होंने मुगल आक्रमणों से उदयपुर की रक्षा वीरतापूर्वक की। महाराणा प्रताप सबसे अधिक सम्मानित राजपूत व्यक्तित्व माने जाते हैं और वे 1576 में हल्दीघाटी के अंदर मुगलों से वीरता पूर्वक लड़े। उदयपुर भी निष्पादन कलाओं, हस्तशिल्प और अपनी प्रसिद्ध लघु तस्वीरों का केन्द्र रहा है।
सिटी पैलेस पिछोला झील पर स्थित है। महाराणा उदय सिंह ने इस महल का निर्माण आरंभ किया किन्तु आगे आने वाले महाराणाओं ने इस संकुल में कई महल और संरचनाएं जोड़े, इसमें संकल्पना की एक रूपता को बनाए रखा है। महल का प्रवेश हाथी पोल की ओर से है। बड़ी पोल या बड़ा गेट त्रिपोलिया अर्थात तीन प्रवेश द्वारों में से एक है। एक समय यह रिवाज था कि महाराणा इस प्रवेश द्वार के नीचे सोने और चांदी से तौले जाते थे और फिर यह गरीबों में बांट दिया जाता था। अब यहां मुख्य टिकट कार्यलय है। बालकनी, कूपोला और बड़ी बड़ी मीनारें इस महल को झील से एक सुंदर दृश्य के रूप में दर्शाती हैं। सूरज गोखड़ा एक ऐसा स्थान है जहां से महाराणा जनता की बातें सुनते थे, मुख्यत: कठिन परिस्थितियों में रहने वाले लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए उनसे बातें करते थे। मोर चौक एक अन्य स्थान है जिसे दीवारों पर मोर के कांच से बने विविध नीले रंग के टुकड़ों से सजाया गया है।
महल का मुख्य हिस्सा अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया है जो कलात्मक वस्तुओं का एक बड़ा और विविध संग्रह प्रदर्शित करता है। सिटी पैलेस के संग्रहालय में जाने के लिए गणेश दहरी से प्रवेश किया जाता है। यह रास्ता आगे राज्य आंगन में जाता है यहीं वह स्थान है जहां महाराणा उदय सिंह उस संत से मिले थे, जिसने उन्हें यहां शहर बनाने के लिए कहा था। एक शस्त्र संग्रहालय में सुरक्षात्मक औजारों और हथियारों के साथ जानलेवा दो धारी तलवार शामिल है। महल के कमरे शीशों, टाइलों और तस्वीरों से सजे हुए हैं। माणक महल या रूबी पैलेस में कांच और दर्पण का सुंदर संग्रह है जबकि कृष्णा विलास में छोटी तस्वीरों का विशाल संग्रह दर्शाया गया है। मोती महल में दर्पण का सुंदर कार्य है और चीनी महल में सभी स्थानों पर सजावटी टाइले लगी हैं। सूर्य चौपड़ में एक विशाल सजावटी सूर्य बना हुआ है जो सूर्य के शासन का प्रतीक है, जिसे मेवाड़ राजवंश का संकेत माना जाता है। बड़ी महल एक केन्द्रीय उद्यान है जिससे शहर का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। जनाना महल या महिला कक्ष में कुछ ओर सुंदर तस्वीरों को देखा जा सकता है, जो आगे चलकर लक्ष्मी चौक मे खुलता है और यह एक सफेद मंडप है।
अलग अलग महलों के अंदर बड़ी चौक के दक्षिण से जाने पर शिव निवास और फतेह प्रकाश पैलेस हैं, अब जिन्हें पोर्टल के रूप में चलाया जाता है। पिछोला झील के किनारे सिटी पैलेस वास्तुकला और राजस्थान के शासकों के अधीन सांस्कृतिक दोहन के उत्कृष्ट उत्पादों के उदाहरण हैं। ये महल पूरी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं और अपनी सुंदरता और भव्यता से उन्हें बांध लेते हैं।