गोवा की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित धार्मिक इमारतों में से यह भव्य 16वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे पुर्तगाल शासन के दौरान रोमन केथोलिक द्वारा बनाया गया था। यह एशिया का सबसे बड़ा चर्च है। यह केथेड्रल एलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है, जिनके भोज्य दिवस पर 1510 में अल्फोंसो अल्बूकर्क ने मुस्लिम सेना को पराजित किया और गोवा शहर का स्वामित्व लिया। अत: इसे सेंट केथेरिन का केथेड्रल भी कहते हैं और यह पुर्तगाल में बने किसी भी चर्च से बड़ा है।
इस केथेड्रल को पुर्तगाली वाइसराय, रिडोंडो ने ''पुर्तगाल के एक विशाल चर्च, जहां संपत्ति, शक्ति और प्रसिद्धि हो, एक ऐसे रूप में स्थापित किया था, जो अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक समुद्र पर कब्जा कर सके। इसके विशाल मुक्त द्वार का निर्माण 1562 में राजा डोम सेबास्टियो (1557-78) और इसे 1619 में काफी हद तक पूरा किया गया था। यह 1640 में इसे अर्पित किया गया था।
यह चर्च 250 फीट लंबा और 181 फीट चौड़ा है। इसका अगला हिस्सा 115 फीट ऊंचा है। यह भवन पुर्तगाली - गोथिक शैली में टस्कन बाह्य सज्जा तथा कोरिंथयन अंदरुनी सज्जा के साथ बनाया गया है। केथेड्रल का बाह्य हिस्सा शैली की सादगी के लिए उल्लेखनीय है, जबकि इसकी अंदरुनी सजावट अपनी सुंदर भव्यता से दर्शकों का मन मोह लेती है।
केथेड्रल के स्तंभ गृह में प्रसिद्ध घंटा है जो गोवा में सबसे बड़ा तथा विश्व में एक सर्वोत्तम कृति माना जाता है, जिसे बहुधा अपनी शानदार आवाज के लिए ''स्वर्ण घंटी'' कहा जाता है। यहां मुख्य पूजा स्थल अलेक्सेंड्रिया के सेंट केथेरिन को समर्पित है और यहां दोनों ओर लगी तस्वीरें उनके जीवन तथा निर्माण के दृश्य प्रदर्शित करती हैं।
नेव की दांईं ओर चमत्कारों का चेपल ऑफ क्रॉस बना हुआ है। ईसा मसीह की एक झलक इस विशाल, सादे क्रॉस पर 1919 में प्रकट होने का उल्लेख है। मुख्य पूजा गृह में विशाल सोने का आवरण चढ़े हुए वेदी पटल हैं। सेंट केथेरिन के जीवन के दृश्य, जिन्हें यह केथेड्रल समर्पित है, इसके 6 मुख्य पैनलों पर तराशे गए हैं। बांईं ओर के कक्ष में 1532 के दौरान बपतिस्मा के अक्षर बनाए गए हैं। सेंट फ्रांसीस जेवियर के बारे में कहा जाता है कि इसे इबारत को पढ़ कर उन्होंने हजारों गोवावासियों का बपतिस्मा किया है।
यहां दुनिया भर से हजारों -लाखों लोग आते हैं और इस चर्च को सभी धर्मों के लोगों द्वारा एक धार्मिक स्थल माना जाता है। यह गोवा का एक अपरिहार्य पर्यटक आकर्षण है और गोवा जाने पर से' केथेड्रल को देखें बिना वापस आना यात्रा को अधूरा माना जाता है।