(ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्): हमारे धर्म और संस्कृति में पूजा-पाठ का बड़ा महत्व है। हर पूजा में मंत्रों का जाप जरूर किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मंत्रों में ईश्वर को बुलाने और उनकी कृपा पाने की शक्ति होती है। वहीं, इन सभी मंत्रों में गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली और असरदार माना गया है। गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र को रोज जपने से जीवन में बहुत से अच्छे बदलाव आते हैं। देवी गायत्री को वेदों की माता भी कहा जाता है, जिनमें वर्तमान, बीता हुआ कल और आने वाले कल का समावेश है। देवी को त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप भी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंत्र के जाप से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में खुशियां आती हैं। लेकिन शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें पालन करना जरूरी माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके जाप का सही तरीका और नियमों के बारे में…
गायत्री मंत्र है – ‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।’
अर्थ – हम उस परमात्मा का ध्यान करते हैं जो दुखों को खत्म करने वाला, सुख देने वाला, तेजस्वी, पवित्र और बुद्धि को सही रास्ते पर ले जाने वाला है। वो भगवान हमें अच्छे विचार दे, ताकि हम सही फैसले ले सकें और जीवन में आगे बढ़ सकें।
अगर आप गायत्री मंत्र का फायदा चाहते हैं तो इसका सही समय और तरीका अपनाना बेहद जरूरी माना जाता है। वेद पुराणों के अनुसार, इस मंत्र का जाप दिन में तीन बार करना सबसे शुभ माना जाता है। पहला सूर्योदय से पूर्व यानी सुबह सूरज निकलने से पहले, दूसरा दोपहर के समय और तीसरा शाम को सूरज ढलने से पहले। इन समयों में बैठकर तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जप करना चाहिए। जाप करते समय कुश के आसन पर बैठें और अपना मुख पूर्व या पश्चिम की ओर रखें। इस बात का खास ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद इसका उच्चारण ना करें।
गायत्री मंत्र के कुल 24 अक्षर होते हैं और हर अक्षर एक शक्ति से जुड़ा है। जैसे – सफलता शक्ति, पराक्रम शक्ति, पालन शक्ति, कल्याण शक्ति, योग शक्ति, प्रेम शक्ति, धन शक्ति, तेज शक्ति, रक्षा शक्ति, बुद्धि शक्ति, दमन शक्ति, निष्ठा शक्ति, धारण शक्ति, प्राण शक्ति, मर्यादा शक्ति, तप शक्ति, शांति शक्ति, कॉल शक्ति, उत्पादक शक्ति, रस शक्ति, आदर्श शक्ति, साहस शक्ति, विवेक शक्ति और सेवा शक्ति ये सभी शक्तियां इंसान के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत रहता है और गुस्सा कम होता है। साथ ही, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है। पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए ये मंत्र बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। इस मंत्र से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इसके अलावा कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है जिससे करियर में ग्रोथ और समाज में सम्मान भी बढ़ता है। इस मंत्र के नियमित जाप से कई बीमारियों से भी राहत मिलती है।
अगर आप भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि रात के समय इस मंत्र को जाप करने से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र रात में जपने से इसका असर उल्टा होने लगता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गायत्री मंत्र का जाप कभी भी काले या गहरे रंग के वस्त्र धारण करके नहीं करना चाहिए। ये शुभ नहीं माने जाते हैं। इस मंत्र का जाप हमेशा पीले वस्त्र पहनकर ही करना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप करते समय अपना मुंह हमेशा पूर्व दिशा की ओर ही रखें। कभी भी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जाप नहीं करना चाहिए।
इस बात का खास ध्यान रखें कि कभी भी मांस, मछली या मदिरा का सेवन करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आप रोजाना 108 बार गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हैं तो इससे आपकी बुद्धि तेज होती है और याददाश्त भी मजबूत होती है। यह मंत्र विवेक, आत्मबल और मानसिक शांति प्रदान करता है। छात्र, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले या मानसिक तनाव से जूझ रहे लोग इसके जाप से काफी लाभ पा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री मंत्र के नियमित जाप से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्यक्ति के भीतर की नकारात्मकता को खत्म करता है और सकारात्मक ऊर्जा भरता है।
हालांकि यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है, लेकिन इसका जाप सही उच्चारण, पवित्र मन और सही विधि से ही करना चाहिए। गलत उच्चारण या अशुद्ध भाव से जाप करने पर जीवन में कई परेशानियां आ सकती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के समय स्त्रियों को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। इसके अलावा बाकी समय वे पूरी श्रद्धा और विधि से इस मंत्र का जाप कर सकती हैं।
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