“ मैंने कितना समझाया था श्रिया , लेकिन तुमने मेरी एक न सुनी । पूरे सात साल जब तुम दोनों को लिव -इन में रहते हो गए तब जाकर मेरी आशंका मिट गई । सोचा चलो निभा ले जाओगे , तुम रिश्ते को । लेकिन अब ...............?” मालती ने अपना माथा ठोंकते बेटी से कहा ।
श्रिया परेशान तो पिछले 7माह से चल रही थी , लेकिन उसने अपनी चिंता में माँ को भागीदार नहीं बनाया था । क्योंकि दोनों अलग फ़्लैट में रहते थे , इस लिए दक्ष की लगातार अनुपस्थिति का उसने माँ को पता ही चलने दिया । ऐसा नहीं कि वह आता ही नहीं था , लेकिन 1-2 दिन साथ रह कर फिर निकल जाता । बहुत पूछा उसने लेकिन वह कोविड के कारण व्यापार को सम्भालने की बात ही कहता ।
लेकिन अब उसका शक , विश्वास में बदलने लगा था कि दक्ष किसी और लड़की के चक्कर में है । जब वह आशंकाओं और अकेलेपन से पूरी तरह विचलित ही हो गई , तब वह अपना फ़्लैट लॉक कर माँ के पास चली आई , और उसे सब कुछ बता कर अपने मन का ग़ुब्बार निकाल लिया । दुनिया में वह माँ -बेटी हीं थीं , पिता उसके बचपन में ही चल बसे थे । दिन तो उसका ऑफिस में जैसे -तैसे बीत जाता , लेकिन रात आशंकाओं से ही घिरी रहती ।
अभी एक बात तो मम्मी से छुपा गई वह । दक्ष ने उससे कई बार पैसे लिए थे ।श्रिया ने अपने और दक्ष में मेरी -तेरी न रखी थी , लेकिन दक्ष के परिवर्तित रुख़ से जब उसने अपनी बैंक पासबुक चेक की तो पाया कि दक्ष उससे 4-5 लाख रुपए ले चुका था ।
जितना वह मानव मन को समझना जान चुकी है , उसे अब भी यह विश्वास हो कर नहीं दे पा रहा कि दक्ष जैसा इंसान धोखेबाज़ हो सकता है । लेकिन यथार्थ सामने खड़े रह उसके भरोसे को ठोकर पर ठोकर मारे जा रहा था । कितनी बार वह दक्ष के साथ बैठ कर गहराई से उसकी आँखों में झांकती रह सच तलाश करती रही है , लेकिन हर बार उसके हाथ ख़ाली के ख़ाली रहे हैं ।
“ माँ ! एक मोबाइल नम्बर मिला है , किसी डॉ अल्पना मिश्रा का । कल कई कॉल करने के बाद , दक्ष आज मेरे ऑफिस के नीचे वाले रेस्त्रॉ में मिलने को तैयार हुआ । दक्ष जब बाथरूम के लिए गया तो उसका मोबाइल वहीं मेज़ पर रह गया । इस नम्बर पर कई कॉल्स हैं , मैंने उसका फ़ोन चैक कर के नोट किया ।कहीं यही तो वह नई लड़की तो नहीं जिसके साथ दक्ष का चक्कर चल रहा हो ? मेरी तो हिम्मत नहीं पड़ी अकेले उसे फ़ोन करने की । अब आपके सामने मिलाती हूँ यह नम्बर । “
“ हैलो ! डॉ अल्पना जी से बात हो रही है ? “
“ जी हाँ ? मैं नैफ्रोलॉजिस्ट डॉ अल्पना ही बोल रही हूँ । कहिए ? “
“ आप किन्ही दक्ष प्रकाश जी को जानती हैं ? “ पूछते -पूछते उसका दिल बाहर को आ रहा था ।
“ जी हाँ । वह हमारे पेशैंट हैं , पिछले 1 साल से ।उनकी दोनों किडनी ख़राब हैं । वह हमारे ही अंडर ट्रीटमेंट हैं । “
“ जी थैंक्यू । “
फ़ोन रखते -रखते उसे ठंडे पसीने आने लगे । सर घूमने लगा । वह कितना ग़लत सोचे जा रही थी दक्ष के बारे में । फिर उसकी रुलाई ऐसी फूटी कि थमने का नाम ही न ले ।
तो दक्ष उससे अपनी बीमारी छिपा रहा था , कि मुझे दु:ख न हो ........................।