एक बच्ची की माँ नही थी। सौतेली माँ उस बच्ची से हर काम करवाती थी। चार बजे भोर में वह बच्ची जाग कर स्कूल के समय तक हर काम करती थी। उसके बाद स्कूल जाती थी। सौतेली माँ अपने बच्चे को टिफिन देती थी। लेकिन उस बच्ची को टिफिन भी नही देती थी। लेकिन बच्ची को कोई एतराज नही था। पिता कभी महीने में कमा कर घर आता था। उस बच्ची की सौतेली माँ काफी मान जान करने लगती थी। पिता के जाने के बाद फिर वही कार्य करवाती थी। बच्ची पढ़ने में तेज थी। धीरे धीरे बड़ी हो गयी। पिता को विवाह की चिंता सताने लगी। एक दिन लड़की के पिता जी, बिटिया की शादी की जिक्र कर दी। सौतेली माँ ने कहा कि, हमारे रिश्ते में एक लड़का हैं। दहेज भी नही लेगा। थोड़ा गरीब हैं। परिवार ठीक हैं। लड़की चूंकि पढ़ना चाह रही थी। लेकिन जबरदस्ती मन्दिर में विवाह कर के, उसे उसके ससुराल भेज दी। लड़की जब ससुराल गयी। उसे अपनी बदनसीब किस्मत सोच कर कुछ बोली नही। लेकिन लड़के ने कहा कि, आप बुरा न मानो तो एक बात कहे, वह बोली कि, आप के साथ जीवन भर रहना हैं। आप जो कहोगे हम मानेंगे। लड़का बोला, जहाँ से पढ़ाई छोड़ी हैं। वही से आप शुरू कर दीजिये। हम गरीब जरूर हैं। लेकिन गवार नही हैं। लड़की अपने पति का पैर पकड़ कर फफक कर रो दी। लड़का दिन रात मेहनत करने लगा। लड़की दिन रात पढ़ाई में मन लगा दी। लड़की एक बड़े शहर में रहकर IAS की तैयारी करने लगी। लड़का कमा कमा कर पैसा देने चला आता था। लड़कियों के हॉस्टल के बाहर मिलकर पैसा दे देता था। और फिर पुनः घर वापस चला आता था। लड़की IAS में सलेक्ट हो गयी। वह IAS की ट्रेनिंग पर चली गयी। और किसी दूसरे प्रदेश में DM बन गयी। संयोग से लड़का पता लगा कर, जब वहाँ पहुँचा। तो लड़की की सारी व्यवस्था देखकर लड़का खुद शर्मिंदगी खाने लगा। और वह मन बना लिया कि, हम खुद इनके जिंदगी से दूर हो जाये। लड़के की माँ की तबियत खराब थी। लड़का हफ्ते भर से मिलने के लिये प्रयास कर रहा था। लेकिन कोई मिलने नही दिया। ठंड का मौसम था। DM साहिबा का कम्बल वितरण का होडिंग लगा था। वो भी सबेरे से लाइन लगा कर खड़ा हो गया। जिसमें पाँच गरीब चुने गए। उसमे वह लड़का भी था। DM साहिबा गाड़ी से उतरी। और एक एक करके कम्बल देना शुरु की। जब पाँचवे आदमी को कम्बल देने की बारी आई। वह लड़का अपना मुँह तौलिया से बाँधे खड़ा हो गया। DM साहिबा जैसे ही कम्बल हाथ में दी। लड़के की आँखे नम हो गयी। और धीरे से बोला कि, साहब! हमारी माँ की तबियत खराब हैं। माँ को यही लाया हूँ। आप सरकारी अस्पताल में फोन कर दीजिये। जिससे मेरी माँ का सही इलाज हो सके। DM साहिबा आवाज को पहचान ली। और हाथ पकड़ कर फफक कर रो पड़ी। और बोली कि, आप कब आये। मुझे बताये क्यो नही। माँ जी कहाँ हैं। उसने इशारा किया। इतने में वह खुद चल दी। अपनी गाड़ी में सबको बिठाई। अपने आवास ले गयी। तत्काल सबके ठंडक के कपड़े खरीद कर लायी। लड़का बोला कि, आप बहुत बड़ी अधिकारी हो गयी हैं। तो वह बोली कि तो क्या हुआ। आप हमारे पति थे। और हैं। आप लोग को हम कैसे भूल जायेंगे। आप मेरे लिये दिन रात मेहनत किये। आप की देन हैं। कि मैं यहाँ खड़ी हूँ। यह सुन लड़के की आँखे नम हो गयी। इतने में DM साहिबा भी अपनी आँखों के आँसू रोक न पायी। और अपने पति के गले सिमट कर रो पड़ी। और अपने परिवार के साथ रहने लगी