वाशिंगटन. रैंसमवेयर पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता उत्पन्न करने वाला जबरन वसूली उद्योग बनता जा रहा है। इन अपराधों की कड़ियां जोड़ने पर पता चलता है कि यह पेशेवर उद्योग हैं, जो संगठित अपराध के नियमों से कोसों दूर हैं. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में साइबर अपराधियों के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया था. जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन में भी रैंसमवेयर समूहों से मिलकर निपटने का संकल्प जताया गया था. जो बाइडन के साथ बैठक में पुतिन ने इस पर सैद्धांतिक सहमति तो दे दी. पर उन्होंने दोतरफा प्रत्यर्पण संधि पर जोर दिया. हालांकि सवाल यह है कि अगर संधि हुई तो प्रत्यर्पित किसे और कैसे किया जाएगा. रैंसमवेयर कई देशों तक फैला अपराध है और इसमें कोई एक मुख्य अपराधी नहीं है. साथ ही इसमें अलग-अलग पुलिस एजेंसियां शामिल हैं. रैंसमवेयर हमलों में साइबर अपराधियों के विभिन्न नेटवर्क शामिल रहते हैं. वह एक दूसरे से अलग रहते हैं. इससे गिरफ्तारी का खतरा कम रहता है. इस साल मई में ही करीब 128 रैंसमवेयर हमले हुए. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और जी-7 इन अपराधों पर कैसे लगाम लगा पाएंगे.
● रैंसमवेयर हमले कैसे होते हैं : 2012 से 2021 के बीच करीब 4000 हमलों के विश्लेषण के बाद लीड्स यूनिवर्सिटी में अपराध विज्ञान के प्रोफेसर डेविड एस वॉल बताते हैं, सबसे पहले अपराधी संभावित पीड़ितों की पहचान कर उनके नेटवर्क में सेंध लगाते हैं. फिर हैकर लॉग इन जानकारी हासिल कर पहुंच बनाते हैं. पहुंच मिलने पर हमलावर पीड़ित संगठन उन अहम डाटा की ओर बढ़ते हैं कि चोरी से पीड़ित को सबसे ज्यादा नुकसान होगा और फिरौती वसूली जा सके. यही वजह है कि अस्पतालों के चिकित्सा और पुलिस रिकॉर्ड के निशाने पर रहते हैं.
● ज्यादा वसूली पर नजर : पीड़ित संगठन पर हमला कर उसकी पहुंच बंद कर दी जाती है. डार्क वेब आंकड़ों को सार्वजनिक करने की धमकी दी जाती है ताकि ज्यादा फिरौती देने के लिए बाध्य हो जाए. अपराधी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में फिरौती मांगते हैं. जिसका पता लगाना मुश्किल होता है.
● एक साल में तेज हुई कार्रवाई : कानून एजेंसियों ने पिछले एक साल में रैंसमवेयर अपराधियों से निपटने के प्रयास तेज किए हैं. यूक्रेन और दक्षिण कोरियाई पुलिस ने कुख्यात सीएलओपी रैंसमवेयर गिरोह को पकड़ने के लिए हाथ मिलाया है. इसके बाद रूसी नागरिक आलेग कोश्किन को अमेरिकी अदालत ने मालवेयर इंक्रिप्शन सर्विस चलाने का दोषी ठहराया. इसके इस्तेमाल से साइबर अपराधी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर से बचते हुए साइबर हमले कर रहे थे.
● अलग-अलग कौशल वाले अपराधियों का जाल : कुशल साइबर अपराधी पकड़ में आने के खतरे को कम करने के लिए हमले के अलग-अलग स्तर के लिए विशेषज्ञ तैयार करते हैं. इनमें स्पैमर स्पैमवेयर सॉफ्टवेयर जुटाते हैं. डाटा के दलाल चोरी जानकारियों को डार्क वेब बेचते हैं.
● डाटा विक्रेता, फिरौती मध्यस्थ से लेकर अपराध सलाहकार भी : डार्क मार्केट के विक्रेता ऑनलाइन बाजार मुहैया कराते हैं जहां अपराधी डार्क वेब पर टोर नेटवर्क से डाटा भेजते हैं. यहां क्रिप्टोकरंसी को पारंपरिक मुद्रा में बदलने वाले मुद्रा कारोबारी भी होते हैं. पीड़ित और अपराधी की ओर से फिरौती पर समझौता कराने के लिए मध्यस्थ भी होते हैं. हाल ही में गिरोह और रैंसमवेयर सलाहकार भी जुड़ गए हैं.