बारिश होते ही इंदौर के दीवाने-मस्ताने अपनी गाड़ियां उठाते हैं और पातालपानी, सितलामाता फाल, बामनिया कुंड, मेहंदी कुंड, कुशलगढ़ का किला, आशापुरा माता मंदिर और जाम गेट वाले क्षेत्रों में घूमने निकल जाते हैं। कोई कार से सपरिवार जाता है, तो कोई बाइक से दोस्तों के साथ। घने जंगल में जाकर लोग खुले में बैठते, खेलते और भोजन करते हैं। लेकिन सावधान, इस बार इन इलाकों में जाना खतरे से खाली नहीं। दरअसल, बीते करीब दो माह से एक आदमखोर बाघ इन्हीं इलाकों में घूम रहा है।
वन विभाग जिसे मानपुर वन रेंज कहता है और आम इंदौरी जिसे अपने घूमने के लिए फेवरेट जगह मानते हैं, उसी इलाके में यह बाघ घूम रहा है और लगातार शिकार कर रहा है। आज संडे है और आज फिर बड़े पैमाने पर लोग इन इलाकों में घूमने जा सकते हैं। इसलिए नईदुनिया सिटी ने की पड़ताल कि आप किन इलाकों में जाने से बचेंगे तो बाघ और मानव की टकराहट से बचा जा सकेगा।
इंदौरियों के लिए वर्षा ऋतु में रविवार की छुट्टी का मतलब है सैर-सपाटा। और इसके लिए नजर आती है इंदौर के आसपास 60 से 70 किलोमीटर के दायरे में बसे पहाड़, घाटियां, झरने और नदियां। लेकिन इंदौरियों की तफरीह के इसी 60-70 किलोमीटर वाले दायरा ही इन दिनों खूंखार बाघ का भ्रमण क्षेत्र बना हुआ है। आमजन तो दूर, वन विभाग तक के हाथ-पांव फूले हुए हैं क्योंकि बाघ कभी गाय तो कभी किसी अन्य मवेशी का लगातार शिकार रहा है। विभाग ने पिंजरा लगाया, सीसीटीवी कैमरे भी लगाए, लेकिन न तो वह आदमखोर अब तक पकड़ा जा सका है, न ही कहीं रिकार्ड हुआ है।
यह बाघ 8 मई को सबसे पहले महू स्थित आर्मी वार कालेज परिसर में नजर आया था। इसके बाद से बीते 61 दिनों में यह महू-मानपुर क्षेत्र में कई बार दिखा। यह आदमखोर इतना खतरनाक है कि मवेशी के अलावा एक आदमी का भी शिकार कर चुका है। हाल ही में दो गायों के शिकार के पहले यह दर्जनों मवेशियों को मार चुका है। डर तो इस बात का है कि यह केवल जंगल में ही नहीं बल्कि रहवासी क्षेत्र में भी लगातार घुसपैठ कर रहा है। गलियां और कच्ची सड़कों पर इसके पग मार्क इसकी पुष्टि करते हैं कि यह आबादी वाले इलाकों से भी डर नहीं रहा।
यह जानकारी आपको चौंका सकती है कि महू-मानपुर रेंज में ही 43 तेंदुए हैं, जिनका मूवमेंट लगातार इस रेंज के वनों में होता रहता है। हालांकि तेंदुए आबादी वाले इलाकों में आने से बचते हैं या मनुष्य से टकराव को टालते हैं, किंतु इसका अर्थ यह नहीं कि वे मनुष्य के लिए खतरा नहीं। कुछ माह पहले मानपुर नगर में पहाड़ी पर स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय और माता के मंदिर परिसर के सीसीटीवी कैमरे में तेंदुआ रिकार्ड हुआ था। जबकि यह आबादी वाला इलाका है।
मलेंडी और महू के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में ही बीते कुछ दिनों में 11 तेंदुए देखे गए हैं। समीपस्थ नंदलाई घाटी में भी बाघ और तेंदुआ की आवाजाही के निशान मिले हैं। इसके अलावा मलेंडी, बड़िया, चौरड़िया, बड़गौंदा नर्सरी, इसके पास जंगल में बने बालाजी मंदिर व पास ही बहने वाली नहर के किनारे भी बाघ-तेंदुओं की आवाजाही दर्ज हुई है।
अगर आप मेहंदीकुंड या बामनिया कुंड जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको स्पष्ट चेतावनी दी जाती है कि यहां न जाएं। वन विभाग के अनुसार इन दिनों बाघ इसी इलाके में है। एहतियात बरतते हुए वन विभाग ने इन दोनों स्थानों पर पहुंचने के रास्ते बंद भी कर दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ दूसरे रास्तों से यहां जाया जा सकता है।
मालवा और निमाड़ के बीच इंदौर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले भव्य जाम गेट और इसके आसपास का सौंदर्य अप्रतिम है। लेकिन सावधान, यहां भी इन दिनों बाघ और तेंदुओं का खतरा है। पर्यटकों को यहां सूरज ढलने के बाद तो एक भी क्षण रुकने की अनुमति नहीं है। खतरा इतना अधिक है कि दिन में भी इन स्थानों पर पर्यटकों को सचेत करने के लिए उद्घोषणा करवाई जा रही है।
कई लोग पातालपानी झरना देखने सपरिवार जाते हैं। यहां खुले में बैठकर भोजन करने, खेलने और आसपास ट्रैकिंग का भी आनंद लेते हैं। लेकिन इस संडे पातालपानी जाने के बारे में कतई न सोचें। दरअसल, यहां की गई फेंसिंग के दूसरी तरफ इन दिनों तेंदुए अधिक संख्या में हैं और उनका मूवमेंट लगातार ट्रैक किया गया है।
मलेंडी के आसपास का जंगल बहुत सुंदर है। यहां बने हनुमानजी के मंदिर में दर्शन करने भी बड़ी संख्या में इंदौरी पहुंचते हैं। किंतु अभी यहां जाना खतरे से खाली नहीं। दरअसल, बड़गौंदा नर्सरी में बाघ की आवाजाही लगातार दिखी है। शुक्रवार रात को भी कुशलगढ़ किला और उसके आसपास बाघ नजर आया है।
इंदौर में कई ग्रुप हैं, जो इन जंगलों में ट्रैकिंग और भ्रमण करवाते हैं। सूचना है कि इनमें से कुछ ग्रुप अपने सदस्यों को इन्हीं इलाकों में ट्रैकिंग करवाने की योजना बना रहे हैं। लेकिन ऐसा करना जानलेवा हो सकता है। दरअसल, यह भ्रम है कि पूरा ग्रुप झुंड में होगा तो बाघ या तेंदुआ का डर नहीं रहेगा। ध्यान रहे, ये आदमखोर ग्रुप के किसी भी सदस्य पर हमला कर सकते हैं। कुशलगढ़ से कालाकुंड के रास्ते में भी खतरा कम नहीं है। बेहतर होगा कि स्थिति सामान्य होने तक एडवेंचर गतिविधियों को पूरी तरह रोका जाए।
- वैभव उपाध्याय, फारेस्ट रेंज आफिसर, महू, इंदौर
यदि आप जंगल में नहीं जा रहे तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन यदि ग्रुप में जा ही रहे हैं तो अत्यंत सतर्क रहें। महू के डिप्टी रेंजर पवन जोशी ने बताया कि यदि बाघ या तेंदुआ से सामना हो ही जाए, तो क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए।
1. यदि कहीं आपको बाघ या तेंदुआ दिख ही जाए, तो उससे करीब 500 मीटर दूर ही रुक जाएं।
2. उन्हें चिढ़ाने वाली कोई गतिविधि या हलचल न करें। धैर्य के साथ शांत बने रहें।
3. जब तक बाघ या तेंदुआ आंखों से ओझल न हो जाए, तब तक एक ही जगह रुके रहें।
4. इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं वह पीछे से हमला न कर दे।
5. वीडियो बनाने या फोटोग्राफी करने के लालच में न पड़ें। इससे आसपास की स्थिति से ध्यान हटकर केवल कैमरे पर केंद्रित हो जाता है।
6. सतर्क रहें क्योंकि ये वन्य प्राणी तभी हमला करते हैं, जब आप सर्वाधिक असावधान होते हैं।
7. इन्हें देखकर गुर्राने, चिल्लाने जैसी मूर्खता न करें। ऐसा करने पर ये स्वयं के बचाव के लिए अत्यंत उग्र होकर हमला कर सकते हैं।
8. यदि कहीं बाघ या तेंदुआ दिख जाए तो तुरंत वन विभाग के नंबर 9424792348 या 9424792350 पर सूचना दें।