क्या कभी आपने किसी फ्लाइट में सफर किया है? अगर नहीं तो फिल्म या ब्लॉग में किसी को सफर करते हुए जरूर देखा होगा। इस दौरान आपने एक बात जरूर नोटिस की होगी कि यात्रियों की मदद के लिए ज्यादातर महिला स्टाफ ही होती हैं। यात्रियों की हर एक चीज का ध्यान रखने के लिए एयर होस्टेस को चुना जाता है। दुनियाभर की कई फ्लाइट कंपनियां फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा चुनती हैं। यही नहीं विमान के भीतर काम कर रहे क्रू मेंबर में भी सर्वाधिक महिलाएं ही होती हैं। कुछ अनुमानों की मानें तो मेल और फीमेल केबिन क्रू मेंबर का अनुपात लगभग 2/20 का होता है। वहीं कई विदेशी एयरलाइंस में यही अनुपात 4/10 का होता है। ये आंकड़े स्पष्ट तस्वीर बयां करते हैं कि फ्लाइट स्टाफ में महिलाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा होती है। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा फ्लाइट स्टाफ में ज्यादा वरीयता क्यों दी जाती है? आप में से कई लोग ये सोच रहें होंगे कि इसका कारण खूबसूरती है। पर ऐसा नहीं इसके पीछे का कारण कुछ और है। आइए जानते हैं -
यह एक बहुत ही बड़ा साइकोलॉजिकल फैक्ट है कि कई लोग पुरुषों की बजाए महिलाओं की बातों को ज्यादा ध्यान से सुनते हैं और सुनते ही नहीं हैं बल्कि उनकी बातों पर अमल भी करते हैं। फ्लाइट में सेफ्टी गाइडलाइंस और जरूरी दिशा निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है इसलिए फ्लाइट में ज्यादातर एयरहोस्टेस ही इन सब बातों का एलान करती हैं।
फ्लाइट स्टाफ में महिलाओं को ज्यादातर चुने जाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि उनका चरित्र पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कोमल, उदार और विनम्र होता है। उनके इसी उदार चरित्र के चलते यात्रियों के मन में फ्लाइट कंपनी के प्रति एक सकारात्मक छवि बनती है।
एक विमान में जितना कम वजन होगा उतना ही उसका ईंधन और पैसा बचेगा। इस कड़ी में महिलाओं का वजन पुरुषों की अपेक्षा कम होता है और कम वजन विमान कंपनी के लिए एक फायदे का सौदा होता है। अक्सर फ्लाइट में पतली और कम वजन की महिलाओं को ही ज्यादातर देखा जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है।
एक मान्यता है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं प्रबंधन को संभालने में अधिक सक्षम होती हैं। वह किसी भी बात को ध्यान पूर्वक सुनती हैं और उस पर अमल भी करती हैं। इन्हीं कारणों के चलते फ्लाइट क्रू में पुरुषों की बजाए महिलाओं को ज्यादा शामिल किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ज्यादातर विमान कंपनियां उन्हीं हालातों में पुरुषों को फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में चुनती हैं, जब ज्यादा बल और मेहनत का काम होता है।