ज्यादातर स्कूलों में फाइनल परीक्षाएं पूरी हो चुकी हैं और बच्चे अब नई क्लास में जाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में इस वक्त बच्चे नई किताबों, कॉपियों और स्टेशनरी के साथ-साथ एक नया स्कूल बैग भी लेना चाहते हैं। बाजार में हर तरह के रंग-बिरंगे और डिजाइनर बैग मौजूद हैं और बच्चे अपने मनपसंद की बैग भी खरीदते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्कूल बैग का रंग भी आपके बच्चे की पढ़ाई और मनोदशा को प्रभावित कर सकता है? जी हां, वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्कूल बैग खरीदते समय आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। उनके बैग आरामदायक और उसमें स्पेस होने के साथ ही स्कूल बैग के रंग का भी ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्कूल बैग किन रंगों के होने चाहिए और किन रंगों के बैग लेने से परहेज करना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बच्चों के स्कूल बैग के लिए सबसे अच्छा रंग हरा और पीला माना गया है। हरा रंग भगवान गणेश से जुड़ा होता है, जो बुद्धि और ज्ञान के देवता माने जाते हैं। वहीं पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक है, जो शिक्षा, समझदारी और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है। ऐसा माना जाता है कि इन रंगों के बैग में किताबें रखने से बच्चे की एकाग्रता और सीखने की क्षमता में सुधार आ सकता है।
अगर आप हरा या पीला रंग नहीं लेना चाहते हैं, तो ऐसे में लाल, सफेद या नारंगी रंग के बैग भी चुन सकते हैं। लाल और सफेद रंग जहां उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं, वहीं नारंगी रंग बच्चे में एक्टिवनेस और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला माना जाता है। ऐसे रंगों के बैग बच्चे को मानसिक रूप से चुस्त-दुरुस्त और प्रेरित रखने में मदद करते हैं।
बाजार में नीले और काले रंग के बैग सबसे ज्यादा मिलते हैं, लेकिन ज्योतिष और रंगों की साइकोलॉजी के अनुसार ये रंग बच्चों के लिए शुभ नहीं माने जाते हैं। नीला रंग शनि ग्रह से जुड़ा होता है, जो एकाग्रता में बाधा डाल सकता है। वहीं काला रंग उदासी, नकारात्मकता और थकान को बढ़ा सकता है। ऐसे रंगों के बैग से बच्चों की पढ़ाई में मन कम लग सकता है और उनका मूड भी जल्दी खराब हो सकता है।
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।