Kashi 3D Urban Spatial Digital Twin: गंगा के किनारे बसे पौराणिक शहर काशी में अब बाढ़ से निपटना पहले से कहीं ज्यादा आसान होने वाला है। इसके पीछे है एक अत्याधुनिक तकनीक—3-डी अर्बन स्पेशियल डिजिटल ट्विन। इसकी मदद से गंगा में जलस्तर बढ़ने पर पहले से ही यह पता चल सकेगा कि शहर के कौन-कौन से इलाके और इमारतें बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं।
बाढ़ आने से पहले मिलेगी चेतावनी
3-डी मैपिंग तकनीक के ज़रिये प्रशासन को रियल टाइम डेटा मिलेगा। जिससे वह यह पहले से अनुमान लगा सकेंगे कि बाढ़ के पानी से किन क्षेत्रों को खतरा है। इससे बाढ़ के समय जल्द से जल्द राहत और बचाव कार्य शुरू किया जा सकेगा, जिससे जान-माल और संपत्ति को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकेगा।
4 सेंटीमीटर ग्राउंड रेजोल्यूशन
इस डिजिटल प्रतिरूप में 4 सेंटीमीटर के ग्राउंड रेजोल्यूशन की क्षमता है। जिससे गलियों से लेकर ऊंची इमारतों तक हर छोटी-बड़ी संरचना का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान बहुत बारीकी से की जा सकती है।
प्रशासन की तैयारी होगी सटीक और तेज़
3-डी मैपिंग की मदद से प्रशासन यह पहले से जान सकेगा कि बाढ़ की स्थिति में कौन-से रेस्क्यू प्वाइंट्स बनाए जाएं, राहत कैंप कहां लगें, और किस क्षेत्र को पहले खाली कराया जाए। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि बचाव कार्यों में समन्वय और प्रभावशीलता भी आएगी।
विकास और सुरक्षा योजनाओं को मिलेगा बल
इस तकनीक को वाराणसी नगर निगम, विकास प्राधिकरण और अन्य संबंधित विभागों से जोड़ा जा रहा है। इससे भविष्य में सीवरेज, जल निकासी और वेस्ट मैनेजमेंट जैसे बिंदुओं पर भी तुरंत निर्णय लिए जा सकेंगे। साथ ही यह योजना अवैध निर्माण की पहचान और रोकथाम में भी सहायक सिद्ध होगी।
तकनीक से सुसज्जित देश का पहला शहर
वाराणसी देश का पहला शहर है जहां 160 वर्ग किमी क्षेत्र का थ्री-डी जीआईएस आधारित डिजिटल ट्विन तैयार किया गया है। यह मॉडल “लिडार” तकनीक के माध्यम से तैयार हुआ है, जिसमें एयरक्राफ्ट, ड्रोन, सड़क वाहनों और पैदल वॉकर के ज़रिये व्यापक डेटा संग्रह किया गया।