Supreme Court News:के जस्टिस सूर्यकांत ने एक सुनवाई के दौरान देश में रिजर्वेशन सिस्टम की तुलना रेल यात्रा से की। जस्टिस कांत ने कहा कि देश में जाति आधारित आरक्षण रेलगाड़ी के डिब्बे की तरह हो गया है और जो लोग इस डिब्बे में चढ़ते हैं, वे दूसरों को अंदर नहीं आने देना चाहते। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंचराज्य में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी रिजर्वेशन से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव आखिरी बार 2016-2017 में हुए थे। ओबीसी के उम्मीदवारों के लिएको लेकर कानूनी लड़ाई में पदों पर नियुक्ति में देरी का मुख्य कारण है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत कोटा लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के अध्यादेश को रद्द कर दिया।
याचिकाकर्ता ने क्या दलील दीं?
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि राज्य के बंठिया आयोग ने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया, बिना यह पता लगाए कि वे राजनीतिक रूप से पिछड़े हैं या नहीं। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक पिछड़ापन सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से अलग है और ओबीसी को ऑटोमेटिकिली राजनीतिक रूप से पिछड़ा नहीं माना जा सकता।
रिजर्वेशन का कारोबार रेलवे की तरह हो गया- जस्टिस कांत
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मौके पर जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक रूप से कहा, ‘बात यह है कि इस देश में आरक्षण का कारोबार रेलवे की तरह हो गया है। जो लोग बोगी में घुसे हैं, वे नहीं चाहते कि कोई और घुसे। यही पूरा खेल है। याचिकाकर्ता का भी यही खेल है।’ जस्टिस कांत ने आगे कहा, ‘जब आप समावेशिता के सिद्धांत का पालन करते हैं, तो राज्य वर्गों की पहचान करने के लिए बाध्य होते हैं। सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग, राजनीतिक रूप से पिछड़े वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग होंगे। उन्हें फायदे से वंचित क्यों रखा जाना चाहिए? इसे एक विशेष परिवार या समूहों तक ही सीमित क्यों रखा जाना चाहिए।’
पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि महाराष्ट्र राज्य में स्थानीय निकायों के लिए लंबे समय से लंबित चुनावों को ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के कारण और विलंबित नहीं किया जा सकता। पीठ ने राज्य के विचार सुनने के लिए सुनवाई टाल दी। वरिष्ठ जज की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केंद्र ने अगली जनगणना में जाति के आंकड़ों को शामिल करने का फैसला किया है। बीजेपी और उसके सहयोगियों ने कहा है कि इस कदम से पिछड़े वर्गों की पहचान करने और सकारात्मक कार्रवाई में मदद मिलेगी। विपक्षी दल कुछ समय से जाति जनगणना की मांग कर रहे थे।