GST on UPI: ₹ से अधिक के लेनदेन पर क्या अब लगेगा टैक्स? जानिए सच्चाई डिजिटल इंडिया के बढ़ते कदम के साथ UPI (Unified Payments Interface) आज हर भारतीय की ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि ₹2000 से अधिक के UPI लेनदेन पर सरकार GST लगाने जा रही है। इससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। क्या यह सच है? या सिर्फ एक अफवाह? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इसका पूरा सच और सरकार का आधिकारिक स्टैंड।
UPI एक रियल टाइम पेमेंट सिस्टम है जो भारत में छोटे से लेकर बड़े लेन-देन को आसान और तेज बनाता है। वर्तमान में भारत में हर दिन करोड़ों UPI ट्रांजैक्शन होते हैं। डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई तरह के चार्जेस को हटाकर इसे मुफ़्त और सुरक्षित बनाया है।
सरकार या (National Payments Corporation of India) ने अभी तक ऐसा कोई भी आधिकारिक ऐलान नहीं किया है कि ₹2000 से अधिक के UPI पेमेंट पर GST लिया जाएगा।
हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि व्यापारिक UPI लेनदेन पर कुछ शुल्क लग सकते हैं, लेकिन आम उपभोक्ताओं के लिए P2P (Person to Person) ट्रांजैक्शन पूरी तरह मुफ्त ही रहेंगे।
NPCI ने साफ किया है कि UPI पेमेंट्स पर कोई GST या एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगाया जा रहा। यह कदम डिजिटल ट्रांजैक्शन को प्रमोट करने के लिए ही लिया गया था और अभी भी आम जनता के लिए यह सुविधा पूरी तरह मुफ़्त है।
कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स पर दावा किया गया था कि ₹2000 से अधिक के UPI ट्रांजैक्शन पर 18% GST लगेगा। लेकिन ये सिर्फ भ्रामक अफवाहें थीं। वित्त मंत्रालय और NPCI ने इन दावों को गलत बताया है।
2025 तक भारत में UPI ट्रांजैक्शन की संख्या में 4 गुना बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसमें QR कोड पेमेंट, NFC पेमेंट, और इंटरनेशनल UPI जैसे फीचर्स शामिल होंगे। सरकार का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कैशलेस सिस्टम की ओर बढ़ाया जाए, जिससे पारदर्शिता और गति दोनों बढ़े।
₹2000 से ऊपर के UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने की बात पूरी तरह गलत और अफवाह है। सरकार का उद्देश्य UPI को और आसान और मुफ़्त बनाए रखना है। अगर आप एक सामान्य यूज़र हैं और पर्सनल UPI पेमेंट करते हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है।