गर्मियों का समय शुरू हो गया है। अधिकांश लोग इस मौसम में पहाड़ों की वादियों में घूमने का मन बना रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट की पहाड़ियों की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाने के लिए एक बड़ी परियोजना को हरी झंडी दे दी है, जो आने वाले समय में टूरिस्टों को मदद करेगी। कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की हुई बैठक में शिलॉन्ग (मेघालय) से सिलचर (असम) तक 4 लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी है।
इस परियोजना के लिए 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आंकी गई है। यह कॉरिडोर कुल 166.80 लंबा होगा, जिसमें से 144 किमी हिस्सा मेघालय में जबकि 22 किमीमें होगा। यह एक्सप्रेस वेराजमार्ग नंबर 06 का भाग होगा, जो शिलॉन्ग के पास माललिंगखुंग से शुरू होकर सिलचर के पंचग्राम तक जाएगा। इसको हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर विकसित करने की तैयारी है।
नॉर्थ-ईस्ट के औद्योगिक विकास को मिलेगा बल
ये हाई स्पीड कॉरिडोर नॉर्थ ईस्ट के राज्य त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और असम की बराक घाटी को मुख्य भूमि और गुवाहाटी से बेहतर तरीके से कनेक्ट करेगा। वहीं हाई-स्पीड कॉरिडोर से गुवाहाटी से सिलचर जाने वाले यात्रियों को न केवल बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि यात्रियों को इस सफर में समय भी कम लगेगा।
इस एक्सप्रेस वे के निर्माण हो जाने के बाद जहां मेघालय और असम में औद्योगिक विकास को बल मिलेगा, वहीं मेघालय के सीमेंट और कोयला उत्पादन वाले इलाकों को और मजबूती मिलेगी। इतना ही नहीं ये सड़क कई महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों से होकर जाएगी जिससे सैलानियों की राह पहले से और आसान हो जाएगी। इसके साथ-साथ गुवाहाटी, शिलॉन्ग और सिलचर एयरपोर्ट पर आने वाले घरेलू वपर्यटकों की पहुंच पहले से और आसान हो जाएगी। जिससे नॉर्थ-ईस्ट टूरिज्म को काफी मजबूती मिलेगी।
आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में होगी तरक्की
इस एक्सप्रेस कॉरिडोर के निर्माण से न केवल सड़क निर्माण में तेजी आएगी, बल्कि नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी भी और बेहतर होगी। इसके साथ ही भारत के आत्मनिर्भर भारत के विजन को भी आगे बढ़ाएगा। जिससे मेघालय, असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे। वहीं इन इलाकों में आर्थिक-सामाजिक तरक्की को और गति मिलेगी।